वर्तमान राजनीतिक पारदर्शिता और धर्म : भगवद्गीता का नैतिक परिप्रेक्ष्य
Keywords:
श्रीमद्भगवद्गीिा, धमा, राजनीतिक, नैतिकिाAbstract
श्रीमद्भगवद्गीिा, एक प्राचीन दाशतानक ग्रांर्थ ह,ैआधतुनक राजनीति और धमाकेसांदर्ामेंगहरेनैतिक दृतिकोण प्रदान करिी ह।ै यह शोध पत्र गीिा केनैतिक तसद्ाांिों का तवश्लेषण करिा हैऔर उनकेआधतुनक शासन, नैतिक नेित्ृव और धातमका समरसिा मेंअनप्रुयोग पर प्रकाश डालिा ह।ै गीिा के प्रमखु तसद्ाांि, जसै े"धम"ा (किाव्य), "कमायोग" (तनिःस्वार्था कमा) और "तनष्काम कमा" (फल की इच्छा के तिना कमा), आज की राजनीतिक और धातमका जतिलिाओां को सुलझानेके तलए एक अमल्ूय मागदा तशका ा प्रस्ििु करिेह।ैं आधतुनक राजनीति म,ें जहााँनैतिक समस्याएाँऔर सत्ता के तलए सांघषा अक्सर जनकल्याण सेअतधक महत्वपूणाहो जािेह,ैंवहााँगीिा का सांदशे न्यायपणूाऔर नैतिक कायों केतलए प्रेरणा देिा ह।ैयह नेिाओांको अपनेव्यतिगि स्वार्थाऔर पवूााग्रहों सेऊपर उठकर समाज केतहि मेंकायाकरनेकी प्रेरणा दिेा ह।ैसार्थ ही, "समत्व" (समर्ाव) का तसद्ाांि उन्हेंराजनीतिक तनणया ों मेंसांिलुन और तनष्पक्षिा िनाए रखनेका मागा तदखािा ह।ै धमाऔर राजनीति का आपसी सांिांध अक्सर समाज मेंअसांिोष का कारण िनिा ह।ै गीिा का सांदशे "तवतवधिा मेंएकिा" को िढावा दिेा ह,ैऔर यह तवतर्न्न धमों केिीच समझ, सम्मान और सतहष्णिुा को प्रोत्सातहि करिा ह।ैइसकेतसद्ाांि व्यतिगि और सांस्र्थागि स्िर पर साम्प्रदातयक सद्भाव को िढावा दनेे मेंमददगार ह।ैंगीिा पयाावरण सांरक्षण, भ्रिाचार और असमानिा जसै ी वतैिक समस्याओांकेसमाधान मेंर्ी मागदा शना प्रदान करिी ह।ै इसके नैतिक और आध्यातत्मक दृतिकोण समिामलू क समाज के तनमााण में महत्वपूणायोगदान दिेेह।ैंयह शोध पत्र यह तनष्कषाप्रस्ििु करिा हैतक श्रीमद्भगवद्गीिा तसफाएक धातमका ग्रांर्थ नहीं, ितल्क एक नैतिक और दाशतानक मागदा तशका ा ह।ै इसके तसद्ाांि आज के समय मेंनैतिक शासन, सामातजक सद्भाव और आध्यातत्मक उन्नति के तलए आव्यक हैं।
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